BAGLAMUKHI BEEJ MANTRA SECRETS

baglamukhi beej mantra Secrets

baglamukhi beej mantra Secrets

Blog Article

बगलामुखी मंत्र का प्रभाव हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है और माना जाता है कि इसमें शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा होती है। बगलामुखी, जिसे बंगला के नाम से भी जाना जाता है। एक दिव्य देवी है जिसकी पूजा उसके भक्तों की रक्षा करने और उन्हें सशक्त बनाने की क्षमता के लिए की जाती है।

देवी बगलामुखी अपने भक्तों की रक्षक और रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। वह अपने आक्रामक स्वभाव के लिए जानी जाती हैं, जिसका प्रतीक उनके द्वारा धारण किया जाने वाला हथियार, एक डंडा या गदा है।

Meaning - Baglamukhi seed Seems are actually Utilized in the mantra. During this, the goddess is worshiped for making enemies powerless by stabilizing their poisonous tongue, legs, and intellect. They will never have the ability to do nearly anything in opposition to you at the time they've got interrupted their activities.

आटे के तीन दिये बनाएं व देसी घी डाल कर जलाएं।

प्रथम त्रिकोण और उसके बाहर षट्कोण अंकित करके वृत्त और अष्टदल पद्म अंकित करे । उसके बहिर्भाग में भूपुर अंकित करके यंत्र प्रस्तुत करे । यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखना चाहिये ।



अपने शरीर को उचित पोषण देकर स्वस्थ और ऊर्जावान बनाने के...



Carry a rosary and use it to keep an eye on the mantras you’re expressing. Chant your mantra for as lots of rosaries as you select.

अर्थात् एक भी अशुद्ध शब्द चाहे स्वर हो या व्यंजन, व्यर्थ में प्रयोग किया गया या बिना अर्थ जाने कोई भी वाणीरूपी वज्र, यजमान का वैसे ही अनिष्ट करता है जैसे इन्द्र ने वृत्रासुर को मारा था । अतः बिना अर्थ या विधि जाने कोई भी देवी (शक्तियों) का पाठ जप नहीं करना चाहिये ।

Baglamukhi Mantra presents innumerable Positive aspects for all-all-around protection, prosperity security, and defense from health conditions, Serious problems, and accidents. It is said that frequent chanting of the Baglamukhi Mantra paralyzes the Moi and actions of a one who tries to hurt us.

“ૐ ह्रीं बगलामुखी सर्वं ध्रुवं वाचं मुखं पदं स्तम्भया जीवाहं किलोक् किलोक here बनसाय ह्रीं ॐ स्वाहा”

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा 

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥

Report this page